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Driving Distance

1 सेकंड में 16 मीटर... क्या आप तेयार हे?

शुक्रवार को जे. एल. एन. मार्ग पर एक चलती हुई कार के अचानक ब्रेक लगाने पर पीछे चल रही 8 कारे एक के पीछे एक टकरा गयी. उनकी स्पीड लगभग 60 कि.मी. प्रतिघंटा के आस पास थी. कारो के आपस में टकराने के पीछे सभी चालकों द्वारा आगे चलने वाले वाहन से बने गयी दूरी में कमी थी. सभी चालक सामान्य स्थितियों के हिसाब से दुरी बनाये चल रहे थे एवं किसी ने भी आकस्मिक ब्रेक लगने कि स्थिति में होने वाली दुर्घटना के बारे में सोचा भी नहीं था. क्या सामने चल रहे वाहन के अचानक रुकने कि स्थिति में टक्कर होना जरुरी हे या इससे बचा भी जा सकता हे?

शहर में वाहन चलाते वक्त कई चालक सामने वाले वाहन से उपयुक्त दुरी बनाये बिना चलते हे. वाहनों कि अधिक संख्या एवं सामने जगह रख कर चलने पर बीच में जाने वाले अन्य वाहनों से बचने के लिए चालक सामने वाले वाहन से कम से कम दुरी बना कर रखते हे. लेकिन यह कम से कम दुरी कितनी होनी चाहिए? यह दुरी किन किन बातों पर निर्भर करती हे? आइये जानते हे:

ब्रेक लगाने में लगने वाले समय को भागो में बांटा जा सकता हे. पहला चालक को निर्णय लेने में लगने वाला समय एवं दूसरा वाहन को रुकने में लगने वाला समय. चालक को निर्णय लेने में लगने वाला समय प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न भिन्न होता हे और यह उम्र, वाहन चालन में लगाये गए ध्यान, मानसिक एवं शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता हे. खेल के मैदान में कुछ खिलाडी तेजी से गेंद पर झपटते हे या अन्य के मुकाबले त्वरित निर्णय लेते हे. इसी प्रकार सामने होने वाली घटना को आँखों द्वारा देखने, दिमाग तक पंहुचने, एवं वाहन से ब्रेक लगाने हेतु पैर तक सन्देश पंहुचने, एवं पैर द्वारा ब्रेक पेडल दबाने में लगने वाला समय प्रथम श्रेणी में आता हे. इसके पश्चात् प्रत्येक वाहन के द्वारा रुकने में लिया गया समय एवं दुरी गाड़ी के वजन, ब्रेक के प्रकार (पॉवर या सामान्य), वाहन कि गति, टायर के प्रकार, सड़क के सूखा या गिला होने आदि कई बातों पर निर्भर होता हे.

वाहन चलाते वक्त इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रख कर ही सामने वाले वाहन से दुरी तय करनी चाहिए. इन समयावधियों को दरकिनार इसलिए नहीं किया जा सकता हे क्यूंकि वाहन कि गति बढ़ने के साथ ही प्रत्येक क्षण कीमती होता जाता हे. 60 कि.मी. प्रतिघंटा से चलता वाहन प्रत्येक सेकंड में लगभग 16 मीटर कि दुरी तय करता हे. एक व्यक्ति द्वारा सामने वाली गाड़ी के रुकने का अंदाजा होने से लेकर ब्रेक को दबाने के मध्य में लगने वाले समय को 1 से 2 सेकंड का भी माने तो दोनों गाडियों के बीच कि दुरी 30 से 35 मीटर होनी चाहिए थी. यदि गाड़ियों कि गति 30 कि.मी.प्रतिघंटा हो तो प्रत्येक सेकंड में तय कि जाने वाली दुरी 8 मीटर कि रह जायेगी एवं इस स्थिति में दो गाड़ियों के मध्य सुरक्षित दुरी 2 सेकंड के आधार पर 15 से 18 मीटर होनी चाहिए. यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह हे कि पहली गाड़ी में पॉवर ब्रेक होने पर वह और तेजी से रुक सकती हे जबकि सामान्य ब्रेक वाले वाहन रुकने में कुछ अधिक समय लेते हे.

गाड़ी कि सामने रुका हुआ अवरोध जाने पर जेसे कि कोई पशु, गढ्ढा, या ब्रेकर का आना या सामने चलते वाहन या उसके किसी सामान के गिर जाने कि स्थिति में गाड़ी को अनायास भी रोकना पड़ सकता हे एवं इस स्थिति में उक्त दुरी महत्वपूर्ण होगी.

वाहन चलाते वक्त एक अन्य अनुमान जो बहुतायत में लगाया जाता हे वह यह हे कि ब्रेक लगाने पर सामने वाले वाहन कि पिछली लाल बत्तिया जल उठेंगी. बत्तियों के ख़राब होने कि स्थिति में यदि आप अनुमान लगाने में 1 सेकंड भी चुक गए तो या तो आप आगे वाली गाड़ी से टकरायेंगे या फिर आप के पीछे चलने वाला व्यक्ति आपके तेजी में रुकने के कारण आप से कर टकरा सकता हे.

ब्रेक लगाते वक्त आप समय से कुछ पहले पांव ब्रेक पेडल पे रख ले. इससे पीछे कि बत्तियां जल जाएँगी एवं पीछे चल रहे चालक को सतर्क होने का समय मिलेगा. ध्यान रहे वाहन चलाते वक्त आपको केवल अपना ही ध्यान नहीं रखना हे. गलती दुसरे चालक कि भी हो सकती हे लेकिन आपके नुकसान और समय कि बर्बादी से बचने हेतु आपको अपने साथ साथ अन्य चालकों द्वारा कि गयी गलतियों से बचाव में सक्षम होना चाहिए.

दुपहिया वहां चालको को चोपहिया वाहनों के मुकाबले वाहन पर अतिरिक्त नियंत्रण रखना होता हे. ये जल्दी लेन बदल सकते हे. लेकिन किसी भी आकस्मिक परिस्थिति में इनका संतुलन एवं नियंत्रण बनाये रखना अत्यधिक मुश्किल होता हे. दुर्घटना या टकराने की स्थिति में चालक को ज्यादा नुकसान होने की संभावना होती हे. दुपहिया चालको को भी अपने वाहन की गति एवं ब्रेक लगाने में लगने वाले समयानुसार अगले वाहन से दुरी बनानी चाहिए.

शहर में वाहन निश्चित गति से ही चलाये एवं निम्न बातों का धयान रखे:

  • जहाँ तक संभव हो वाहन अपनी लेन में ही चलावे.
  • बार बार लेन ना बदले. आवश्यक होने पर इंडिकेटर दे और पीछे वाहन सुरक्षित दुरी पर होने पर ही लेन बदलें.

अपना ध्यान वाहन चलने पर ही रखे. एक चालक का ध्यान कई कारणों से भटक सकता हे:

  • राह चलते राहगीरों, एवं सड़क किनारे लगे होर्डिंग्स इत्यादि से.
  • गाड़ी में बेठे सहयात्रियों अथवा तेज आवाज में बज रहे संगीत से.
  • मोबाइल फ़ोन पर बात करने से. एक अध्ययन के मुताबिक 20 वर्षीय युवक द्वारा मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाते वक्त किया गया बर्ताव उस 70 वर्षीय चालक के बराबर होता हे जो मोबाइल इस्तेमाल नहीं कर रहा हे.

आजकल दुपहिया वाहन चालको द्वारा कंधे और कान के बीच मोबाइल दबाये हुए वाहन चलाना बहुतायत में दिखाई देता हे. कुछ लोग हेलमेट के अंदर मोबाइल फंसाए रखते हे. ये चीजे आपका ध्यान बांटती हे एवं त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती हे. यदि मोबाइल पर बात करना अत्यावश्यक हो तो इन्दिकाटर देने के बाद सड़क किनारे गाड़ी कड़ी करे. पार्किंग लाइट चालू करे एवं ध्यान रखे की कही आपका वाहन एनी वाहनों हेतु बाधा तो नहीं बन रहा हे.

ध्यान रहे शहर कि यातायात सम्बन्धी समस्याओं का समाधान आप पर ही निर्भर करता हे. सुरक्षित एवं जिम्मेदारी पूर्ण वाहन चालन करे एवं सड़को को दुर्घटना मुक्त बनाने में सहयोग दे.

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